तारीख-31 मई, 2015
प्रधानमंत्री मोदी जी,
मैं आपके ध्यान में लाना चाहती हूं कि देश भर में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। राजस्थान के नागौर जिले में जमीन विवाद में एक समुदाय के सदस्यों ने 17 दलितों को ट्रैक्टर से कुचल डाला। चार दलितों की मौत हो गई जबकि एक अन्य जख्मी है। तीन महीने पहले इसी जिले में तीन दलितों को जिंदा जला दिया गया।
राजस्थान एकमात्र राज्य नहीं है। दूसरे राज्यों में भी दलितों पर जघन्य हमले हुए हैं। महाराष्ट्र के शिरडी में थाने से कुछ ही दूरी पर एक दलित युवक की अंबेडकर का रिंगटोन लगाने पर हत्या कर दी गई। इन मामलों में स्वच्छ एवं भेदभाव रहित जांच सुनिश्चित करना और दोषियों को कानून के मुताबिक सजा दिलाना न्याय के हित में है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि दलितों की रक्षा और कल्याण के लिए संस्थागत मशीनरी को मजबूत किया जाए और जवाबदेह बनाया जाए ताकि सभी दलितों को न्याय का अधिकार मिल सके।
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इसी मकसद से यूपीए-2 सरकार एक अध्यादेश लेकर आई, जिसमें एससी/एसटी (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989 को मजबूत करने की बात थी। यह निराशा की बात है कि एनडीए सरकार ने स्थायी समिति को इसे भेजकर अध्यादेश को खत्म हो जाने दिया। स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट दिसम्बर 2014 में सौंपी, लेकिन बजट सत्र में पारित कराने के लिए सरकार ने इसे संसद में नहीं रखा। इसलिए मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आगामी मॉनसून सत्र में पारित कराने के लिए इस विधेयक को लाया जाए।
प्रधानमंत्री मोदी जी,
मैं आपके ध्यान में लाना चाहती हूं कि देश भर में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। राजस्थान के नागौर जिले में जमीन विवाद में एक समुदाय के सदस्यों ने 17 दलितों को ट्रैक्टर से कुचल डाला। चार दलितों की मौत हो गई जबकि एक अन्य जख्मी है। तीन महीने पहले इसी जिले में तीन दलितों को जिंदा जला दिया गया।
राजस्थान एकमात्र राज्य नहीं है। दूसरे राज्यों में भी दलितों पर जघन्य हमले हुए हैं। महाराष्ट्र के शिरडी में थाने से कुछ ही दूरी पर एक दलित युवक की अंबेडकर का रिंगटोन लगाने पर हत्या कर दी गई। इन मामलों में स्वच्छ एवं भेदभाव रहित जांच सुनिश्चित करना और दोषियों को कानून के मुताबिक सजा दिलाना न्याय के हित में है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि दलितों की रक्षा और कल्याण के लिए संस्थागत मशीनरी को मजबूत किया जाए और जवाबदेह बनाया जाए ताकि सभी दलितों को न्याय का अधिकार मिल सके।
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इसी मकसद से यूपीए-2 सरकार एक अध्यादेश लेकर आई, जिसमें एससी/एसटी (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989 को मजबूत करने की बात थी। यह निराशा की बात है कि एनडीए सरकार ने स्थायी समिति को इसे भेजकर अध्यादेश को खत्म हो जाने दिया। स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट दिसम्बर 2014 में सौंपी, लेकिन बजट सत्र में पारित कराने के लिए सरकार ने इसे संसद में नहीं रखा। इसलिए मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आगामी मॉनसून सत्र में पारित कराने के लिए इस विधेयक को लाया जाए।
-सोनिया गांधी