-अनिरुद्ध शर्मा
मित्र मयूर,
ये कोंगी, वामी, मुल्ले इस हद तक जाएँगे सोचा नहीं था। अब मुझे बदनाम करनेे लिए लाश बनकर नदी में तैर रहे हैं। बताओ तो भला ये कौन सा जिहाद है?
अब मुझसे पूछ रहे हैं कि मैं कहाँ हूँ?
अरे मैं कहीं भी रहूँ उससे क्या फर्क पड़ेगा? कोई चुनाव हो तो बताओ, तब मैं फर्क ला सकता हूँ। अभी सब लोग घरों में बंद हैं, मैं भी क्या करूँ, कोई काम दिखता नहीं। प्रधानमंत्री आवास का ये पुराना मॉडेल भी नहीं जम रहा मुझे, इसीलिए मैं नया बनवा रहा हूँ पर इनको उसमें भी तकलीफ है। अरे भाई, मन पसंद घर हो तो रचनात्मकता बढ़ती है। मुझे लगता है मैं वहाँ जाने के बाद ही कुछ कर पाऊँगा। मुझे लगता है मुझे वो हो गया है...writer's ब्लॉक।
मोर - वो writers को होता है मेरे मालिक 🙁
अच्छा?
ये हवाई जहाज भी तो नहीं चल रहे वरना घाना का एक चक्कर लगा आता, देखता उधर अदानी भाई के लिए क्या स्कोप है।
ये लोग ऑक्सिजन मुझसे मांगते हैं, बताओ क्या मेरी ऑक्सिजन की फ़ैक्टरी है? अरे प्रधानमंत्री हूँ कोई टटपूंजिया फ़ैक्टरी मालिक थोड़ी हूँ। कल को कोई कहेगा हमारे यहाँ नाली चोक हो रही है तो क्या नाली साफ करने जाऊंगा?
अच्छा सुना है एक नया बवाल आया है ब्लैक फंगुस? ओह मित्र तुम अँग्रेजी नहीं समझते है ना?
पर बिना स्कूल जाये भी समझी जा सकती है, मुझे ही देखो...हें हें हें
उसे कह सकते हैं "काली फफूंद"। अभी तो मैं कोरोना के ही जाने के इंतज़ार में हूँ, अब ये नई बला कब टलेगी मुझे ये चिंता सता रही है। अब फिर ये कोंगी, वामी हल्ला मचाएंगे, फफूंद फफूंद....अरे तो मैं क्या करूँ यार? अब फफूंद भी साफ करूँ?
पता नहीं ये समय कब निकलेगा और मैं विभिन्न देशों की यात्रा पर एक बार फिर निकल पाऊँगा।
मोर - टॉक टू माइ आस्स!